हम परिंदे आसमॅा के, हमपे किसका जोर है
हम परिंदे आसमॅा के, हमपे किसका जोर है 
हम बच्चे गुड़गांव के, देखते तेरी ओर है 
हम देखते है सारे रंग होली के और जिंदगी के,
हम खेलते सारे संग, छोटे और बड़ो के,
हम जाते स्कूल और साथ में ट्यूशन भी,
हम पढते doar के संग और पढते घर पर भी 
कोई हमे सिखाता, कोई हंसाता, कोई पढाता खूब है 
हम परिंदे आसमॅा के, हमपे किसका जोर है
हम रहते एक कमरे मेंं और जानते शहर का हाल,
हम रहते मस्ती मेंं और है बिखरे हुए बाल,
पर पढते साथ हम बिना भेदभाव के है,
जीने का सलीका और ज्ञान देता हमारा DoaR है 
होली दीवाली साथ मनाते यहीं तो खुशिंयो का छोर है 
हम परिंदे आसमॅा के, हमपे किसका जोर है 
हम आने वाले सूरज और सितारो की  है शुरूआत,
हम हर रात को रोशन करदें है हममें वो बात,
तुम भी करो अब अगुवाई करना किसका इंतजार है,
जब कर लिया फैसला तो फिर कुछ सोचना बेकार है,
तेरा साथ और वक्त चाहिए वरना लगन तो भरपूर है,
हम परिंदे आसमॅा के, हमपे किसका जोर है 
                                                     - निशांत सिंह 
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